रफ़ाक़तों में पशेमानियाँ तो होती हैं
कि दोस्तों से भी नादानियाँ तो होती हैं
(रफ़ाक़त = मित्रता, मेलजोल), (पशेमानियाँ = लज्जा, शर्मिंदगी, संकोच,पश्चाताप)
बस इस सबब से, कि तुझ पर बहुत भरोसा था
गिले न हों भी तो, हैरानियाँ तो होती हैं
(सबब = कारण), (गिले = शिकायतें)
उदासियों का सबब क्या कहें बजुज़ इसके
ये ज़िन्दगी है, परेशानियाँ तो होती हैं
(सबब = कारण), (बजुज़ = अलावा, सिवाय, अतिरिक्त)
'फ़राज़' भूल चुका है तेरे फ़िराक़ के दुःख
कि शायरों में तनासानियाँ तो होती हैं
(फ़िराक़ - वियोग, विरह, जुदाई), (तनासानी = आरामतलबी, आलस, सुस्ती)
-अहमद फ़राज़
कि दोस्तों से भी नादानियाँ तो होती हैं
(रफ़ाक़त = मित्रता, मेलजोल), (पशेमानियाँ = लज्जा, शर्मिंदगी, संकोच,पश्चाताप)
बस इस सबब से, कि तुझ पर बहुत भरोसा था
गिले न हों भी तो, हैरानियाँ तो होती हैं
(सबब = कारण), (गिले = शिकायतें)
उदासियों का सबब क्या कहें बजुज़ इसके
ये ज़िन्दगी है, परेशानियाँ तो होती हैं
(सबब = कारण), (बजुज़ = अलावा, सिवाय, अतिरिक्त)
'फ़राज़' भूल चुका है तेरे फ़िराक़ के दुःख
कि शायरों में तनासानियाँ तो होती हैं
(फ़िराक़ - वियोग, विरह, जुदाई), (तनासानी = आरामतलबी, आलस, सुस्ती)
-अहमद फ़राज़
बहोत खूब
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