Friday, July 28, 2017

रफ़ाक़तों में पशेमानियाँ तो होती हैं

रफ़ाक़तों में पशेमानियाँ तो होती हैं
कि दोस्तों से भी नादानियाँ तो होती हैं

(रफ़ाक़त = मित्रता, मेलजोल), (पशेमानियाँ = लज्जा, शर्मिंदगी, संकोच,पश्चाताप)

बस इस सबब से, कि तुझ पर बहुत भरोसा था
गिले न हों भी तो, हैरानियाँ तो होती हैं

(सबब = कारण), (गिले = शिकायतें)

उदासियों का सबब क्या कहें बजुज़ इसके
ये ज़िन्दगी है, परेशानियाँ तो होती हैं

(सबब = कारण), (बजुज़ = अलावा, सिवाय, अतिरिक्त)

'फ़राज़' भूल चुका है तेरे फ़िराक़ के दुःख
कि शायरों में तनासानियाँ तो होती हैं

(फ़िराक़ - वियोग, विरह, जुदाई), (तनासानी = आरामतलबी, आलस, सुस्ती)

-अहमद फ़राज़

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