Thursday, August 17, 2017

हम सहल-तलब कौन से फ़रहाद थे लेकिन
अब शहर में तेरे कोई हम सा भी कहाँ है
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

(सहल-तलब = आराम-तलब)

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