Sunday, October 1, 2017

सच के हक़ में खड़ा हुआ जाए

सच के हक़ में खड़ा हुआ जाए
जुर्म भी है तो ये किया जाए

हर मुसाफ़िर में ये शऊर कहाँ
कब रुका जाए कब चला जाए

हर क़दम पर है गुमराही
किस तरफ़ मेरा काफ़िला जाए

बात करने से बात बनती है
कुछ कहा जाए कुछ सुना जाए

राह मिल जाए हर मुसाफ़िर को
मेरी गुमराही काम आ जाए

इसकी तह में हैं कितनी आवाजें
ख़ामोशी को कभी सुना जाए

-हस्तीमल 'हस्ती'

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