करती है यूँ भी बात मोहब्बत कभी कभी
नज़रें मिलीं न होंट हिले बात हो गई
हम को निगल सकें ये अँधेरों में दम कहाँ
जब चाँदनी से अपनी मुलाक़ात हो गई
-राजेन्द्र नाथ रहबर
नज़रें मिलीं न होंट हिले बात हो गई
हम को निगल सकें ये अँधेरों में दम कहाँ
जब चाँदनी से अपनी मुलाक़ात हो गई
-राजेन्द्र नाथ रहबर
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