इल्म-ओ-अदब के सारे ख़ज़ाने गुज़र गए
क्या ख़ूब थे वो लोग पुराने, गुज़र गए
बाक़ी है ज़मीं पे फ़क़त आदमी की भीड़
इंसाँ मरे हुए तो ज़माने गुज़र गए
-विजय तिवारी
(इल्म-ओ-अदब = ज्ञान और साहित्य)
क्या ख़ूब थे वो लोग पुराने, गुज़र गए
बाक़ी है ज़मीं पे फ़क़त आदमी की भीड़
इंसाँ मरे हुए तो ज़माने गुज़र गए
-विजय तिवारी
(इल्म-ओ-अदब = ज्ञान और साहित्य)
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