Sunday, March 18, 2018

पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं
नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है
-अली सरदार जाफ़री

(उफ़ुक़ = क्षितिज)

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