Tuesday, October 16, 2018

हरा शजर न सही ख़ुश्क घास रहने दे

हरा शजर न सही ख़ुश्क घास रहने दे
ज़मीं के जिस्म पे कोई लिबास रहने दे

(शजर = पेड़, वृक्ष), (ख़ुश्क घास = सूखी घास)

कहीं न राह में सूरज का क़हर टूट पड़े
तू अपनी याद मिरे आस-पास रहने दे

तसव्वुरात के लम्हों की क़द्र कर प्यारे
ज़रा सी देर तो ख़ुद को उदास रहने दे

(तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद)

-सुल्तान अख़्तर

No comments:

Post a Comment