पत्थर है तेरे हाथ में या कोई फूल है
जब तू क़ुबूल है, तेरा सब कुछ क़ुबूल है
फिर तू ने दे दिया है नया फ़ासला मुझे
सर पर अभी तो पिछली मसाफ़त की धूल है
(मसाफ़त = फ़ासला, दूरी)
तू दिल पे बोझ ले के मुलाक़ात को न आ
मिलना है इस तरह तो, बिछड़ना क़ुबूल है
तू यार है तो इतनी कड़ी गुफ़्तगू न कर
तेरा उसूल है तो, मिरा भी उसूल है
लफ़्ज़ों की आबरू को गँवा न यूँ 'अदीम'
जो मानता नहीं उस से, कहना फ़ुज़ूल है
-अदीम हाशमी
जब तू क़ुबूल है, तेरा सब कुछ क़ुबूल है
फिर तू ने दे दिया है नया फ़ासला मुझे
सर पर अभी तो पिछली मसाफ़त की धूल है
(मसाफ़त = फ़ासला, दूरी)
तू दिल पे बोझ ले के मुलाक़ात को न आ
मिलना है इस तरह तो, बिछड़ना क़ुबूल है
तू यार है तो इतनी कड़ी गुफ़्तगू न कर
तेरा उसूल है तो, मिरा भी उसूल है
लफ़्ज़ों की आबरू को गँवा न यूँ 'अदीम'
जो मानता नहीं उस से, कहना फ़ुज़ूल है
-अदीम हाशमी
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