Friday, December 21, 2018

पत्थर है तेरे हाथ में या कोई फूल है

पत्थर है तेरे हाथ में या कोई फूल है
जब तू क़ुबूल है, तेरा सब कुछ क़ुबूल है

फिर तू ने दे दिया है नया फ़ासला मुझे
सर पर अभी तो पिछली मसाफ़त की धूल है

(मसाफ़त = फ़ासला, दूरी)

तू दिल पे बोझ ले के मुलाक़ात को न आ
मिलना है इस तरह तो, बिछड़ना क़ुबूल है

तू यार है तो इतनी कड़ी गुफ़्तगू न कर
तेरा उसूल है तो, मिरा भी उसूल है

लफ़्ज़ों की आबरू को गँवा न यूँ 'अदीम'
जो मानता नहीं उस से, कहना फ़ुज़ूल है

-अदीम हाशमी

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