वहाँ ख़ाक अहद-ए-वफ़ा निभे वहाँ ख़ाक दिल का कँवल खिले
जहाँ ज़िंदगी की ज़रूरतों का भी हसरतों में शुमार है
-आरिफ़ जलाली
(अहद-ए-वफ़ा = वफ़ा की प्रतिज्ञा/ करार)
जहाँ ज़िंदगी की ज़रूरतों का भी हसरतों में शुमार है
-आरिफ़ जलाली
(अहद-ए-वफ़ा = वफ़ा की प्रतिज्ञा/ करार)
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