Monday, February 25, 2019

कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद

कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद
याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद

(जफ़ा = सख्ती, जुल्म, अत्याचार)

है वसीयत मेरी मरक़द पे ये लिख दे अहबाब
के करे कोई किसी से न वफ़ा मेरे बाद

(मरक़द = कब्र), (अहबाब = स्वजन, दोस्त, मित्र)

शुक्र है कुछ तो मुहब्बत में हुआ रंग-ए-असर
तीन दिन उसने लगाई न हिना मेरे बाद

खूं मेरा करके बहुत हाथ मले क़ातिल ने
न जमा पर न जमा रंग-ए-हिना मेरे बाद

-अमीर मीनाई





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