अब कहाँ ऐसी तबीअत वाले
चोट खा कर जो दुआ करते थे
तर्क-ए-एहसास-ए-मोहब्बत मुश्किल
हाँ मगर अहल-ए-वफ़ा करते थे
-साग़र सिद्दीक़ी
(तर्क-ए-एहसास-ए-मोहब्बत =इश्क़ के एहसास का त्याग), (अहल-ए-वफ़ा = वफ़ा करने वाले लोग)
चोट खा कर जो दुआ करते थे
तर्क-ए-एहसास-ए-मोहब्बत मुश्किल
हाँ मगर अहल-ए-वफ़ा करते थे
-साग़र सिद्दीक़ी
(तर्क-ए-एहसास-ए-मोहब्बत =इश्क़ के एहसास का त्याग), (अहल-ए-वफ़ा = वफ़ा करने वाले लोग)
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