Thursday, April 11, 2019

अब कहाँ ऐसी तबीअत वाले
चोट खा कर जो दुआ करते थे

तर्क-ए-एहसास-ए-मोहब्बत मुश्किल
हाँ मगर अहल-ए-वफ़ा करते थे

-साग़र सिद्दीक़ी

(तर्क-ए-एहसास-ए-मोहब्बत =इश्क़ के एहसास का त्याग), (अहल-ए-वफ़ा =  वफ़ा करने वाले लोग)

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