Monday, April 15, 2019

एक दरवेश की दुआ हूँ मैं
आज़मा ले मुझे वफ़ा हूँ मैं।

(दरवेश = फ़क़ीर/ साधू)

अपनी धड़कन में सुन ज़रा मुझको
मुद्दतों से तेरी सदा हूँ मैं।

(सदा = आवाज़)

वक़्त की धूप का शजर हूँ पर
देख ले के अभी हरा हूँ मैं।

(शजर = पेड़)

ठोकरों में रहा हूँ सदियों से
तेरी मंज़िल का रास्ता हूँ मैं।

चाह कर भी भुला न पाएगा
उसकी तक़दीर में लिखा हूँ मैं।

जो भी चाहे ख़रीद ले मुझको
सिर्फ़ मुस्कान में बिका हूँ मैं।

- विकास वाहिद १५/०४/१९

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