वो हम से दूर होते जा रहे हैं
बहुत मग़रूर होते जा रहे हैं
बस इक तर्क-ए-मोहब्बत के इरादे
हमें मंज़ूर होते जा रहे हैं
मनाज़िर थे जो फ़िरदौस-ए-तसव्वुर
वो सब मस्तूर होते जा रहे हैं
(मनाज़िर = मंज़र का बहुवचन, दृश्य समूह), (फ़िरदौस-ए-तसव्वुर = ख़यालों की जन्नत), (मस्तूर =लिखित, अभिव्यक्त, छिपा हुआ, गुप्त)
बदलती जा रही है दिल की दुनिया
नए दस्तूर होते जा रहे हैं
बहुत मग़्मूम थे जो दीदा-ओ-दिल
बहुत मसरूर होते जा रहे हैं
(मग़्मूम = ग़म से भरा हुआ, दुखी), (दीदा-ओ-दिल = आँखे और दिल), (मसरूर = प्रसन्न, आनंदित)
वफ़ा पर मुर्दनी सी छा चली है
सितम का नूर होते जा रहे हैं
कभी वो पास आए जा रहे थे
मगर अब दूर होते जा रहे हैं
फ़िराक़ ओ हिज्र के तारीक लम्हे
सरापा नूर होते जा रहे हैं
(फ़िराक़ ओ हिज्र = मिलान और जुदाई), (तारीक = अंधकारमय), (सरापा = सर से पाँव तक)
'शकील' एहसास-ए-गुमनामी से कह दो
कि हम मशहूर होते जा रहे हैं
-शकील बदायुनी
बहुत मग़रूर होते जा रहे हैं
बस इक तर्क-ए-मोहब्बत के इरादे
हमें मंज़ूर होते जा रहे हैं
मनाज़िर थे जो फ़िरदौस-ए-तसव्वुर
वो सब मस्तूर होते जा रहे हैं
(मनाज़िर = मंज़र का बहुवचन, दृश्य समूह), (फ़िरदौस-ए-तसव्वुर = ख़यालों की जन्नत), (मस्तूर =लिखित, अभिव्यक्त, छिपा हुआ, गुप्त)
बदलती जा रही है दिल की दुनिया
नए दस्तूर होते जा रहे हैं
बहुत मग़्मूम थे जो दीदा-ओ-दिल
बहुत मसरूर होते जा रहे हैं
(मग़्मूम = ग़म से भरा हुआ, दुखी), (दीदा-ओ-दिल = आँखे और दिल), (मसरूर = प्रसन्न, आनंदित)
वफ़ा पर मुर्दनी सी छा चली है
सितम का नूर होते जा रहे हैं
कभी वो पास आए जा रहे थे
मगर अब दूर होते जा रहे हैं
फ़िराक़ ओ हिज्र के तारीक लम्हे
सरापा नूर होते जा रहे हैं
(फ़िराक़ ओ हिज्र = मिलान और जुदाई), (तारीक = अंधकारमय), (सरापा = सर से पाँव तक)
'शकील' एहसास-ए-गुमनामी से कह दो
कि हम मशहूर होते जा रहे हैं
-शकील बदायुनी
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