Tuesday, April 9, 2019

तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे

तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे
हम तो वो हैं तिरे चेहरे से दिखाई देंगे

हम को महसूस किया जाए है ख़ुश्बू की तरह
हम कोई शोर नहीं हैं जो सुनाई देंगे

फ़ैसला लिक्खा हुआ रक्खा है पहले से ख़िलाफ़
आप क्या साहब अदालत में सफ़ाई देंगे

पिछली सफ़ में ही सही, हैं तो इसी महफ़िल में
आप देखेंगे तो हम क्यूँ न दिखाई देंगे

(सफ़ = पंक्ति)

-वसीम बरेलवी

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