Thursday, May 2, 2019

आंखों में तूफ़ान उठाए फ़िरते हैं

आंखों में तूफ़ान उठाए फ़िरते हैं
हम दिल में अरमान उठाए फ़िरते हैं।

जिसके पंछी को इक दिन उड़ जाना है
सब ऐसा ज़िंदान उठाए फ़िरते हैं।

(ज़िंदान = पिंजरा/जेल)

किसको फ़ुर्सत उनके दिल में झांके जो
होठों पे मुस्कान उठाए फ़िरते हैं।

दौलत वालों को ये शिकवा है कि हम
क्यूं अपना ईमान उठाए फ़िरते हैं।

हमसे पूछो दुनिया वालों हम कितने
रिश्तों के एहसान उठाए फ़िरते हैं।

दुनिया में हम जैसे हैं सौदाई जो
उल्फ़त में नुक़सान उठाए फ़िरते हैं।

(सौदाई = दीवाने/प्रेमी)

आहें,आंसू,चाहत, वादे और वफ़ा
क्या क्या हम इंसान उठाए फ़िरते हैं।

- विकास"वाहिद"
०१ मई २०१९

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