जाने कहाँ थे और चले थे कहाँ से हम
बेदार हो गए किसी ख़्वाब-ए-गिराँ से हम
(बेदार = जागृत, जागना), (ख़्वाब-ए-गिराँ = बड़ा सपना)
ऐ नौ-बहार-ए-नाज़ तिरी निकहतों की ख़ैर
दामन झटक के निकले तिरे गुल्सिताँ से हम
(ऐ नौ-बहार-ए-नाज़ = नयी बहार के नाज़-नख़रे ), (निकहतों = ख़ुशबुओं)
पिंदार-ए-आशिक़ी की अमानत है आह-ए-सर्द
ये तीर आज छोड़ रहे हैं कमाँ से हम
(पिंदार-ए-आशिक़ी = प्रेम का अभिमान या समझ)
आओ ग़ुबार-ए-राह में ढूँढें शमीम-ए-नाज़
आओ ख़बर बहार की पूछें ख़िज़ाँ से हम
(ग़ुबार-ए-राह = रास्ते की धूल का तूफ़ान), (शमीम-ए-नाज़ = प्यार की खुशबू), (ख़िज़ाँ = पतझड़)
आख़िर दुआ करें भी तो किस मुद्दआ' के साथ
कैसे ज़मीं की बात कहें आसमाँ से हम
-अहमद नदीम क़ासमी
बेदार हो गए किसी ख़्वाब-ए-गिराँ से हम
(बेदार = जागृत, जागना), (ख़्वाब-ए-गिराँ = बड़ा सपना)
ऐ नौ-बहार-ए-नाज़ तिरी निकहतों की ख़ैर
दामन झटक के निकले तिरे गुल्सिताँ से हम
(ऐ नौ-बहार-ए-नाज़ = नयी बहार के नाज़-नख़रे ), (निकहतों = ख़ुशबुओं)
पिंदार-ए-आशिक़ी की अमानत है आह-ए-सर्द
ये तीर आज छोड़ रहे हैं कमाँ से हम
(पिंदार-ए-आशिक़ी = प्रेम का अभिमान या समझ)
आओ ग़ुबार-ए-राह में ढूँढें शमीम-ए-नाज़
आओ ख़बर बहार की पूछें ख़िज़ाँ से हम
(ग़ुबार-ए-राह = रास्ते की धूल का तूफ़ान), (शमीम-ए-नाज़ = प्यार की खुशबू), (ख़िज़ाँ = पतझड़)
आख़िर दुआ करें भी तो किस मुद्दआ' के साथ
कैसे ज़मीं की बात कहें आसमाँ से हम
-अहमद नदीम क़ासमी
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