mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Tuesday, May 7, 2019
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल, ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ
-ख़्वाजा मीर दर्द
(ग़ाफ़िल = बेसुध, बेख़बर)
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