Tuesday, May 7, 2019

सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल, ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ
-ख़्वाजा मीर दर्द

(ग़ाफ़िल = बेसुध, बेख़बर)

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