रिंद मस्जिद में गए तो उँगलियाँ उठने लगीं
खिल उठे मय-कश कभी ज़ाहिद जो उन में आ गए
-इफ़्तिख़ार आरिफ़
(रिंद = शराबी), (ज़ाहिद = संयमी, विरक्त, जप-तप करने वाला)
खिल उठे मय-कश कभी ज़ाहिद जो उन में आ गए
-इफ़्तिख़ार आरिफ़
(रिंद = शराबी), (ज़ाहिद = संयमी, विरक्त, जप-तप करने वाला)
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