ये मंज़र, ये रूप अनोखे, सब शहकार हमारे हैं
हम ने अपने ख़ून-ए-जिगर से, क्या क्या नक़्श उभारे हैं
(शहकार = सबसे अच्छी रचना, सर्वोत्कृष्ट कृति, महानतम कृति, Masterpiece), (नक़्श = निशान, चिह्न)
सब से हँस कर मिलने वाले, हम को किसी से बैर नहीं
दुनिया है महबूब हमें और, हम दुनिया को प्यारे हैं
-जमील मलिक
हम ने अपने ख़ून-ए-जिगर से, क्या क्या नक़्श उभारे हैं
(शहकार = सबसे अच्छी रचना, सर्वोत्कृष्ट कृति, महानतम कृति, Masterpiece), (नक़्श = निशान, चिह्न)
सब से हँस कर मिलने वाले, हम को किसी से बैर नहीं
दुनिया है महबूब हमें और, हम दुनिया को प्यारे हैं
-जमील मलिक
No comments:
Post a Comment