Tuesday, July 23, 2019

हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिए
नज़र नहीं तो अंधेरा है आदमी के लिए
-नुशूर वाहिदी

(फ़रोज़ाँ = प्रकाशमान, रौशन)

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