हमको जहाँ-जहाँ भी नयी सोच ले गयी
दुनिया वहाँ-वहाँ मिली दीवार की तरह
दिल तो नहीं था हो लिये फिर भी जहाँ के साथ
इनकार भी न कर सके इनकार की तरह
-राजेश रेड्डी
दुनिया वहाँ-वहाँ मिली दीवार की तरह
दिल तो नहीं था हो लिये फिर भी जहाँ के साथ
इनकार भी न कर सके इनकार की तरह
-राजेश रेड्डी
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