Wednesday, November 20, 2019

अश्क ढलते नहीं देखे जाते

अश्क ढलते नहीं देखे जाते
दिल पिघलते नहीं देखे जाते

(अश्क = आँसू)

फूल दुश्मन के हों या अपने हों
फूल जलते नहीं देखे जाते

तितलियाँ हाथ भी लग जाएँ तो
पर मसलते नहीं देखे जाते

जब्र की धूप से तपती सड़कें
लोग चलते नहीं देखे जाते

(जब्र = अन्याय, ज़ुल्म)

ख़्वाब-दुश्मन हैं ज़माने वाले
ख़्वाब पलते नहीं देखे जाते

देख सकते हैं बदलता सब कुछ
दिल बदलते नहीं देखे जाते

-अब्दुल्लाह जावेद


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