पलकों पे बरसात सम्हाले बैठे हैं
हम अपने जज़्बात सम्हाले बैठे हैं।
ख़्वाबों में तेरे आने की ख़्वाहिश में
मुद्दत से इक रात सम्हाले बैठे हैं।
और हमें क्या काम बचा है फ़ुरक़त में
क़ुर्बत के लम्हात सम्हाले बैठे हैं।
(फ़ुरक़त = विरह), (क़ुर्बत = नज़दीकी)
हमको डर है बस तेरी रुसवाई का
इस ख़ातिर हर बात सम्हाले बैठे हैं।
(रुसवाई = बदनामी)
शहरों में ले आया हमको रिज़्क़ मगर
भीतर हम देहात सम्हाले बैठे हैं।
(रिज़्क़ = आजीविका)
बच्चों के उजले मुस्तक़बिल की ख़ातिर
हम मुश्किल हालात सम्हाले बैठे हैं।
(मुस्तक़बिल = भविष्य)
हमने तो बस एक ख़ुशी ही मांगी थी
अब ग़म की इफ़रात सम्हाले बैठे हैं।
(इफ़रात = अधिकता, प्रचुरता)
वादे, धोखे, आंसू,आहें और जफ़ा
तेरी सब सौग़ात सम्हाले बैठे हैं।
(जफ़ा =अत्याचार, अन्याय)
- विकास वाहिद २/१२/२०१९
हम अपने जज़्बात सम्हाले बैठे हैं।
ख़्वाबों में तेरे आने की ख़्वाहिश में
मुद्दत से इक रात सम्हाले बैठे हैं।
और हमें क्या काम बचा है फ़ुरक़त में
क़ुर्बत के लम्हात सम्हाले बैठे हैं।
(फ़ुरक़त = विरह), (क़ुर्बत = नज़दीकी)
हमको डर है बस तेरी रुसवाई का
इस ख़ातिर हर बात सम्हाले बैठे हैं।
(रुसवाई = बदनामी)
शहरों में ले आया हमको रिज़्क़ मगर
भीतर हम देहात सम्हाले बैठे हैं।
(रिज़्क़ = आजीविका)
बच्चों के उजले मुस्तक़बिल की ख़ातिर
हम मुश्किल हालात सम्हाले बैठे हैं।
(मुस्तक़बिल = भविष्य)
हमने तो बस एक ख़ुशी ही मांगी थी
अब ग़म की इफ़रात सम्हाले बैठे हैं।
(इफ़रात = अधिकता, प्रचुरता)
वादे, धोखे, आंसू,आहें और जफ़ा
तेरी सब सौग़ात सम्हाले बैठे हैं।
(जफ़ा =अत्याचार, अन्याय)
- विकास वाहिद २/१२/२०१९
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