Thursday, April 23, 2020

याद में उसकी भीगा कर

याद में उसकी भीगा कर
फूलों जैसा महका कर

भीड़ में ख़ुद को तन्हा कर
ये मंज़र भी देखा कर

बूढ़ों में भी बैठा कर
बच्चों से भी खेला कर

सबको राह दिखा लेकिन
अपनी राह भी देखा कर

किससे भूल नहीं होती
इतना भी मत सोचा कर

तू भी दौलत से भर जा
सबके ग़म को अपनाकर

जन्नत किसने देखी है
जीवन जन्नत जैसा कर

प्यार की अपनी आँखें हैं
देख ही लेगा देखा कर


-हस्तीमल हस्ती

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