होश में जब से हूं मैं ये सिलसिला चलता रहा
मैं जहां पर और मुझ पर ये जहां हँसता रहा
थी किसे ये फ़िक्र रिश्ता टूट जाए या निभे
हमने चाहा था निभाना इसलिए निभता रहा
रह सकें परिवार वाले जिंदा बस ये सोच कर
बा जरूरत थोड़ा थोड़ा रोज़ वो बिकता रहा
याद हो पाया न मुझसे पाठ दुनियादारी का
रटने को तो रोज यारो मैं इसे रटता रहा
ढूंढ ही लेता है जालिम दुख मुझे हर हाल में
पीठ पीछे सुख की यारो लाख मैं छिपता रहा
-हस्तीमल हस्ती
मैं जहां पर और मुझ पर ये जहां हँसता रहा
थी किसे ये फ़िक्र रिश्ता टूट जाए या निभे
हमने चाहा था निभाना इसलिए निभता रहा
रह सकें परिवार वाले जिंदा बस ये सोच कर
बा जरूरत थोड़ा थोड़ा रोज़ वो बिकता रहा
याद हो पाया न मुझसे पाठ दुनियादारी का
रटने को तो रोज यारो मैं इसे रटता रहा
ढूंढ ही लेता है जालिम दुख मुझे हर हाल में
पीठ पीछे सुख की यारो लाख मैं छिपता रहा
-हस्तीमल हस्ती
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