Monday, May 11, 2020

आये ज़ुबाँ पे राज़-ए-मोहब्बत मुहाल है

आये ज़ुबाँ पे राज़-ए-मोहब्बत मुहाल है
तुमसे मुझे अजीज़ तुम्हारा ख़याल है

दिल था तेरे ख़्याल से पहले चमन चमन
अब भी रविश रविश है मगर पायमाल है

(रविश = बाग़ की क्यारियों के बीच का छोटा मार्ग, गति, रंग-ढंग), (पायमाल = कुचला हुआ, दुर्दशाग्रस्त)

कम्बख़्त इस जूनून-ए-मोहब्बत को क्या करूँ
मेरा ख़याल है न तुम्हारा ख़याल है

-जिगर मुरादाबादी 

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