Friday, July 31, 2020

कुछ मरासिम तो निभाया कीजिए

कुछ मरासिम तो निभाया कीजिए
कम से कम ख़्वाबों में आया कीजिए।

(मरासिम = मेल-जोल, प्रेम-व्यवहार, संबंध)

चाहिए सबको यहां खुशरंग शै
कर्ब चेहरे पे न लाया कीजिए।

(कर्ब = पीड़ा, दर्द, दुःख, बेचैनी)

जिसके दर से चल रहा है ये जहां
उसके दर पे सर झुकाया कीजिए।

ज़िन्दगी है चार दिन का इक सफ़र
इसको नफ़रत में न ज़ाया कीजिए।

(ज़ाया = बर्बाद,नष्ट)

उम्र भर को घर बना लेती है फिर
बात दिल से मत लगाया कीजिए।

उसके दर पे रोज़ जा के बैठिए
रोज़ क़िस्मत आज़माया कीजिए।

दिन की सारी फ़िक्र बाहर छोड़ कर
हंसता चेहरा घर पे लाया कीजिए।

- विकास वाहिद
25/7/20

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