Saturday, September 29, 2012

जब मैकदा छुटा तो फिर अब क्या जगह की क़ैद
मस्जिद हो, मदरसा हो, कोई खानक़ाह हो
-ग़ालिब

(खानक़ाह = आश्रयस्थल)

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