Tuesday, December 18, 2012

की नहीं उम्र भर ख़ता जिसने,
उसने तौहीने-ज़िन्दगी की है।
-नरेश कुमार शाद

(तौहीने-ज़िन्दगी = ज़िन्दगी का अपमान)

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