mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Tuesday, February 26, 2013
देखा मनाज़िरों का बहुत उसने रंग-ढंग,
अकबर के दिल में अब न रही बहस की उमंग।
(मनाज़िर = मंज़र का बहुवचन, दृश्य समूह)
-अकबर इलाहाबादी
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