mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Thursday, March 21, 2013
अपना ही नहीं कोई, अनजान हज़ारों हैं,
दीपक तो अकेला है, तूफ़ान हज़ारों हैं ।
-मजरूह सुल्तानपुरी
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