Monday, March 18, 2013

इंसान की बदबख़्ती अंदाज़ से बाहर है,
कमबख़्त  ख़ुदा होकर बन्दा नज़र आता है।
-आज़ाद अंसारी

(बदबख़्ती = अभागापन)
 

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