मेरा ग़म पुरसिशों की दस्तरस से दूर है हमदम,
मगर ख़ुश हूँ कि जो आता है, कुछ समझा ही जाता है।
[(पुरसिश = पूछताछ), (दस्तरस = पहुँच)]
उलट जाती हैं तदबीरें, पलट जाती हैं तक़दीरें,
अगर ढूँढे नई दुनिया तो इन्सां पा ही जाता है।
(तदबीर = उपाय, प्रयत्न, कोशिश), (तक़दीर = भाग्य, किस्मत)
-फ़िराक़ गोरखपुरी
मगर ख़ुश हूँ कि जो आता है, कुछ समझा ही जाता है।
[(पुरसिश = पूछताछ), (दस्तरस = पहुँच)]
उलट जाती हैं तदबीरें, पलट जाती हैं तक़दीरें,
अगर ढूँढे नई दुनिया तो इन्सां पा ही जाता है।
(तदबीर = उपाय, प्रयत्न, कोशिश), (तक़दीर = भाग्य, किस्मत)
-फ़िराक़ गोरखपुरी
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