जलाले-आतिशो-बर्क़-ओ-सहाब पैदा कर,
अजल भी कांप उठे, वो शबाब पैदा कर ।
[(जलाले-आतिशो-बर्क़-ओ-सहाब = आग/ बिजली बादल का रौद्र), (अजल = मृत्यु), (शबाब = जवानी)]
तू इन्क़लाब की आमद का इंतज़ार ना कर,
जो हो सके, तो अभी इन्क़लाब पैदा कर ।
[(आमद = आगमन)]
-मजाज़
अजल भी कांप उठे, वो शबाब पैदा कर ।
[(जलाले-आतिशो-बर्क़-ओ-सहाब = आग/ बिजली बादल का रौद्र), (अजल = मृत्यु), (शबाब = जवानी)]
तू इन्क़लाब की आमद का इंतज़ार ना कर,
जो हो सके, तो अभी इन्क़लाब पैदा कर ।
[(आमद = आगमन)]
-मजाज़
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