Monday, March 4, 2013

यूँ देखिये तो आंधी में बस इक शजर गया,
लेकिन न जाने कितने परिन्दों का घर गया।

(शजर = वृक्ष, पेड़)

जैसे ग़लत पते पे चला आए कोई शख़्स,
सुख ऐसे मेरे दर पे रुका और गुज़र गया।

मैं ही सबब था अबके भी अपनी शिकस्त का,
इल्ज़ाम अबकी बार भी क़िस्मत के सर गया।

[(सबब = कारण), (शिकस्त = पराजय, हार), (इल्ज़ाम = दोष)]

अर्से से दिल ने की नहीं सच बोलने की ज़िद,
हैरान हूँ मैं कैसे ये बच्चा सुधर गया।

उनसे सुहानी शाम का चर्चा न कीजिए,
जिनके सरों पे धूप का मौसम ठहर गया।

जीने की कोशिशों के नतीजे में बारहा,
महसूस ये हुआ कि मैं कुछ और मर गया।

(बारहा = अक्सर, प्रायः)

-राजेश रेड्डी

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