निगाहों में वो हैरानी नहीं है
नए बच्चों में नादानी नहीं है
ये कैसा दौर है कातिल के दिल में
ज़रा सी भी पशेमानी नहीं है
(पशेमानी = लज्जा)
नज़र के सामने है ऐसी दुनिया
जो दिल की जानी पहचानी नहीं है
जो दिखता है वो मिट जाता है इक दिन
नहीं दिखता वो, जो फ़ानी नहीं है
(फ़ानी = नश्वर, नष्ट हो जाने वाला)
खु़दा अब ले ले मुझसे मेरी दुनिया
मेरे बस की ये वीरानी नहीं है
कोई तो बात है मेरे सुख़न मे
ये दुनिया यूँ ही दीवानी नहीं है
-राजेश रेड्डी
नए बच्चों में नादानी नहीं है
ये कैसा दौर है कातिल के दिल में
ज़रा सी भी पशेमानी नहीं है
(पशेमानी = लज्जा)
नज़र के सामने है ऐसी दुनिया
जो दिल की जानी पहचानी नहीं है
जो दिखता है वो मिट जाता है इक दिन
नहीं दिखता वो, जो फ़ानी नहीं है
(फ़ानी = नश्वर, नष्ट हो जाने वाला)
खु़दा अब ले ले मुझसे मेरी दुनिया
मेरे बस की ये वीरानी नहीं है
कोई तो बात है मेरे सुख़न मे
ये दुनिया यूँ ही दीवानी नहीं है
-राजेश रेड्डी
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