मन की दौलत हाथ आती है तो फिर जाती नहीं
तन की दौलत छाँव है, आता है धन जाता है धन
अपने मन में डूबकर पा जा सुराग़-ए-ज़िन्दगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन, अपना तो बन
-अल्लामा इक़बाल
तन की दौलत छाँव है, आता है धन जाता है धन
अपने मन में डूबकर पा जा सुराग़-ए-ज़िन्दगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन, अपना तो बन
-अल्लामा इक़बाल
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