mir-o-ghalib
जगजीत-चित्रा जी की ग़ज़लों और नज़्मों के लिए यहाँ क्लिक करें
मीर तक़ी मीर और मिर्ज़ा ग़ालिब के चाहने वाले ये ब्लॉग भी देखें: मीर-ओ-ग़ालिब
Spiritual Science
Thursday, March 7, 2013
सोने की कैंची लाओ तो मुंसिफ़ के लब खुलें,
क़ातिल ने होंठ सी दिए चाँदी के तार से ।
-शाहज़ाद असद
(मुंसिफ़ = न्यायकर्ता, इंसाफ करने वाला)
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment