सूरज सी इक चीज़ तो हम सब देख चुके,
सचमुच की अब कोई सहर दे या अल्लाह।
या धरती के ज़ख़्मों पर मरहम रख दे,
या मेरा दिल पत्थर कर दे या अल्लाह।
-क़तील शिफाई
सचमुच की अब कोई सहर दे या अल्लाह।
या धरती के ज़ख़्मों पर मरहम रख दे,
या मेरा दिल पत्थर कर दे या अल्लाह।
-क़तील शिफाई
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