हर सांस में जाम-ए-ज़हर पीता क्यों है
हर चाक को बार-बार सीता क्यों है
(जाम-ए-ज़हर = ज़हर का प्याला), (चाक = कटा फटा हुआ)
जितने भी जतन हैं, सब हैं, जीने के लिए
पर यह भी कभी सोचा कि जीता क्यों है
-जोश मलीहाबादी
हर चाक को बार-बार सीता क्यों है
(जाम-ए-ज़हर = ज़हर का प्याला), (चाक = कटा फटा हुआ)
जितने भी जतन हैं, सब हैं, जीने के लिए
पर यह भी कभी सोचा कि जीता क्यों है
-जोश मलीहाबादी
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