Sunday, April 14, 2013

हर सांस में जाम-ए-ज़हर पीता क्यों है
हर चाक को बार-बार सीता क्यों है

(जाम-ए-ज़हर = ज़हर का प्याला), (चाक = कटा फटा हुआ)

जितने भी जतन हैं, सब हैं, जीने के लिए
पर यह भी कभी सोचा कि जीता क्यों है
-जोश मलीहाबादी

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