सर से लगा के पाँव तलक दिल हुआ हूँ मैं,
याँ तक तो फ़न-ए-इश्क़ में कामिल हुआ हूँ मैं।
-शेर शाह मुबारक 'आरज़ू'
[(फ़न-ए-इश्क़ = इश्क़ की खूबी/ कला), (कामिल = पूर्ण, योग्य दक्ष)]
याँ तक तो फ़न-ए-इश्क़ में कामिल हुआ हूँ मैं।
-शेर शाह मुबारक 'आरज़ू'
[(फ़न-ए-इश्क़ = इश्क़ की खूबी/ कला), (कामिल = पूर्ण, योग्य दक्ष)]
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