मदारी मंच पर आकर नये करतब दिखाता है,
तमाशा देखता है मुल्क़ औ ताली बजाता है ।
कभी मैं सोचता हूँ कि ये साज़िश ख़त्म कब होगी,
न कोई चीखता है न कोई हल्ला मचाता है ।
-अवनीश कुमार
तमाशा देखता है मुल्क़ औ ताली बजाता है ।
कभी मैं सोचता हूँ कि ये साज़िश ख़त्म कब होगी,
न कोई चीखता है न कोई हल्ला मचाता है ।
-अवनीश कुमार
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