Friday, April 19, 2013

मुकाबिल तोप से हर पल कलम थी,
तुम्हारे हाथ की तलवार क्या है ।

(मुकाबिल = सम्मुख, आमने-सामने)

मुक़म्मल फैसला कर ले मोहब्बत,
तो सरहद पे उठी दीवार क्या है ।

(मुक़म्मल = सम्पूर्ण)

हमें बिकना नहीं मंजूर, सुन ले
अब तेरा दर है क्या, बाज़ार क्या है ।

-अवनीश कुमार

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