मैं फूल चुनने आया था बाग़े-हयात में,
दामन को ख़ारे-ज़ार में उलझा के रह गया।
-नरेश कुमार शाद
(बाग़े-हयात = जीवन का बगीचा, दुनिया), (ख़ारे-ज़ार = नुकसानदेह काँटे)
दामन को ख़ारे-ज़ार में उलझा के रह गया।
-नरेश कुमार शाद
(बाग़े-हयात = जीवन का बगीचा, दुनिया), (ख़ारे-ज़ार = नुकसानदेह काँटे)
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