Tuesday, April 9, 2013

मैं फूल चुनने आया था बाग़े-हयात में,
दामन को ख़ारे-ज़ार में उलझा के रह गया।
-नरेश कुमार शाद

(बाग़े-हयात = जीवन का बगीचा, दुनिया), (ख़ारे-ज़ार = नुकसानदेह काँटे)


No comments:

Post a Comment