हम कुश्तगाने-ख़्वाब गिराँगोश ही रहे,
सूरज सरों पे वक़्ते-सहर बोलता रहा ।
[(कुश्तगाने-ख़्वाब = नींद के मारे हुए/ सपनों की दुनिया में खोए हुए), (गिराँगोश = बहरे), (वक़्ते-सहर = सुबह के समय)]
उस राहे-जज़्ब से भी गुज़रना पड़ा 'ज़हीर',
जिस राह में ख़िरद का क़दम डोलता रहा।
(राहे-जज़्ब = आकर्षण की राह), (ख़िरद = बुद्धि)
-ज़हीर काश्मीरी
सूरज सरों पे वक़्ते-सहर बोलता रहा ।
[(कुश्तगाने-ख़्वाब = नींद के मारे हुए/ सपनों की दुनिया में खोए हुए), (गिराँगोश = बहरे), (वक़्ते-सहर = सुबह के समय)]
उस राहे-जज़्ब से भी गुज़रना पड़ा 'ज़हीर',
जिस राह में ख़िरद का क़दम डोलता रहा।
(राहे-जज़्ब = आकर्षण की राह), (ख़िरद = बुद्धि)
-ज़हीर काश्मीरी
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