mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Sunday, May 5, 2013
महक रही है ज़िंदगी अभी भी जिसकी खुशबू से,
वो कौन था ऐ 'दोस्त' जो क़रीब से गुज़र गया।
-मानोशी
1 comment:
Unknown
May 5, 2013 at 1:25 PM
Superb!!!
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Superb!!!
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