Saturday, May 4, 2013

अभी तो कायनात औहाम का इक कारख़ाना है,
अभी धोखा हक़ीक़त है, हक़ीक़त इक फ़साना है।

[(कायनात = ब्रम्हांड, संसार, दुनिया), (औहाम = भ्रांतियां)]

अभी तो ज़िन्दगी को ज़िन्दगी करके दिखाना है,
अभी तो फ़ाक़ाक़श इंसान से आँखें मिलाना है ।
-मजाज़

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