Tuesday, May 28, 2013

ज़िन्दगी की आँधी में ज़हन का शजर तऩ्हा
तुमसे कुछ सहारा था, आज हूँ मगर तऩ्हा

(शजर = पेड़)

ज़ख़्म-ख़ुर्दा लम्हों को मसलेहत सँभाले है
अनगिनत मरीजो में एक चारागर तऩ्हा

[(ज़ख़्म-ख़ुर्दा = घायल),  (मसलेहत = नीति, परामर्श, सलाह), (चारागर = चिकित्सक)]

बूँद जब थी बादल में ज़िन्दगी थी हलचल में
क़ैद अब सदफ़ में है बनके है गुहर तऩ्हा

[(सदफ़ = सीप), (गुहर = मोती)]

तुम फ़ुज़ूल बातो का दिल पे बोझ मत लेना
हम तो ख़ैर कर लेंगे ज़िन्दगी बसर तऩ्हा

इक खिलौना जोगी से खो गया था बचपन में
ढूँढता फ़िरा उसको वो नगर-नगर तऩ्हा

झुटपुटे का आलम है जाने कौन आदम है
इक लहद पे रोता है मुँह को ढाँपकर तऩ्हा

(लहद = कब्र)

-जावेद अख़्तर

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