कितने दिन हो गए पिया को शहर गए
पलकों पर दो आँसू आकर ठहर गए
बचपन से रक्खा था दिल के कोने में
वो अरमान न जाने सब अब किधर गए
ख़्वाबों की तस्वीर सजाई थी हमने
इधर-उधर सब रंग अचानक बिखर गए
आज़ादी पर उनको भाषण देना था
घर के पंछी के दोनों पर कतर गए
जिनके कारण रुसवाई का दंश सहा
वो भी आज बिना कुछ बोले गुज़र गए
-अल्पना नारायण
पलकों पर दो आँसू आकर ठहर गए
बचपन से रक्खा था दिल के कोने में
वो अरमान न जाने सब अब किधर गए
ख़्वाबों की तस्वीर सजाई थी हमने
इधर-उधर सब रंग अचानक बिखर गए
आज़ादी पर उनको भाषण देना था
घर के पंछी के दोनों पर कतर गए
जिनके कारण रुसवाई का दंश सहा
वो भी आज बिना कुछ बोले गुज़र गए
-अल्पना नारायण
tu gud
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