न शाख़े-गुल ही ऊँची है, न दीवारे-चमन, बुलबुल !
तेरी हिम्मत की कोताही, तेरी क़िस्मत की पस्ती है
-अमीर मीनाई
[(शाख़े-गुल = पेड़ की डाली), (दीवारे-चमन = बाग़ की दीवार)]
तेरी हिम्मत की कोताही, तेरी क़िस्मत की पस्ती है
-अमीर मीनाई
[(शाख़े-गुल = पेड़ की डाली), (दीवारे-चमन = बाग़ की दीवार)]
good.....
ReplyDeletesp